राजकुमार राव और कृति सेनन पर भारी पड़े रत्ना पाठक - परेश रावल
फिल्म - हम दो हमारे दो
एक 'हम दो हमारे दो' साल 1984 में भी रिलीज हुई थी, जिसमें स्मिता पाटिल, राज बब्बर जैसे कलाकार नजर आए थे। लेकिन नए जमाने की 'हम दो हमारे दो' पुरानी वाली फिल्म से एकदम अलग है। जहां फैमिली ड्रामा में रोमांस, कॉमेडी और थोड़ी नोकझोंक देखने को मिलती है। 'हम दो हमारे दो' में राजकुमार राव (ध्रुव), कृति सेनन (अन्या मेहरा), रत्ना पाठक (दिप्ती कश्यप), सेंटी (अपारशक्ति खुराना), परेश रावल (पुरुषोत्तम मिश्रा) जैसे दमदार कलाकार हैं।
''कहते हैं शादी के बाद दो बच्चे हो तो फैमिली कंप्लीट हो जाती है, यानी हम दो हमारे दो, लेकिन मेरी कहानी थोड़ी उल्टी है। मुझे फैमिली पूरी करने के लिए बच्चे नहीं मां-बाप चाहिए थे।'' ध्रव (राजकुमार राव) की कहानी इसी फैमिली कॉन्सैप्ट पर टिकी है। जिसमें उनके साथ रोमांस का तड़का अन्या मेहरा (कृति सेनन) लगाती हैं।
लेकिन हम दो हमारे दो में बाजी मार जाते हैं परेश रावल और रत्ना पाठक। फिल्म की कहानी के उतार चढ़ाव के चलते फिल्म कई बार डूबने से बचती है लेकिन परेश रावल और रत्ना पाठक ने इस फिल्म का बेड़ा पार कर दिया।
कोई शक नहीं है कि राजकुमार राव और कृति सेनन बेहतरीन कलाकार हैं लेकिन फिल्म की लेखक इस शानदार कास्ट का फायदा नहीं उठा पाए। ऐसा नहीं है कि फिल्म बिल्कुल आपको निराश करती है, नहीं.. फिल्म आपको हंसाने और गुदगुदाने के साथ साथ परिवार के महत्व को भी समझाती है।
'हम दो हमारे दो' की कहानी
फिल्म की कहानी 6-7 साल के अनाथ बच्चे ध्रुव (राजकुमार राव) से शुरू होती है। ध्रुव के माता पिता नहीं है, न ही उसे पता है कि आखिर परिवार क्या होता है। ध्रुव एक ढाबे पर काम करता है जिसके मालिक पुरुषोत्तम मिश्रा (परेश रावल) हैं। संयोग ये है कि पुरुषोत्तम के परिवार में भी कोई नहीं हैं। पुरुषोत्तम अपनी प्रेम कहानी में चूक गए थे और इसी वजह से उन्होंने कभी शादी नहीं की। पुरुषोत्तम ने अपनी प्रेमिका दीप्ति कश्यप (रत्ना पाठक) का पूरी जवानी इंतजार किया है।
ध्रव अपनी मेहनत के चलते एक स्टार्टअप कंपनी खड़ा करता है। लेकिन दौलत आ जाने के बाद भी ध्रुव की जिंदगी खाली है। सिर्फ उसके पास सैंटी (अपारशक्ति खुराना) जैसा हंसमुख दोस्त हैं। जिसके साथ वह अपनी हर बात शेयर करता है। ध्रुव जिंदगी के इस खालीपन और परिवार की कमी के चलते उखड़ा और रूठा हुआ सा रहता है। लेकिन ध्रुव की जिंदगी में खुशियां तब आती हैं जब अन्या मेहरा (कृति सेनन) की एंट्री होती है। अन्या और ध्रुव एक दूसरे से प्यार तो करने लगते हैं लेकिन अन्या एक ऐसा लड़का चाहती है जिसकी छोटी सी प्यारी सी फैमिली हो।
अन्या की इस ख्वाहिश के बारे में जब ध्रुव को पता चलता है तो वह नकली मां-बाप का जुगाड़ करने लगता है।ध्रुव डरता है कि उसके अनाथ होने के बारे में पता चलने के बाद कहीं अन्या उसे छोड़ न दें इसीलिए वह एक झूठी कहानी रचता है जिसमें वह बचपन में ढाबे मालिक पुरुषोत्तम और दिप्ती को नकली मां बाप बनाकर लाता है। पुरुषोत्तम और दिप्ती की एक अलग प्यारी कहानी है जिसे आप फिल्म में अच्छे से देखकर एन्जॉय कर पाएंगे।
ध्रुव की जिंदगी में खलल तब पड़ती है जब अन्या और उसके परिवार को ध्रुव की नकली फैमिली का सच पता चलता है। फिल्म का क्लाईमैक्स देख आप जान पाएंगे कि कैसे फिर ध्रुव-अन्या एक होते हैं।
निर्देशन
अभिषेक जैन ने 'हम दो हमारे दो' फिल्म का निर्देशन किया है। वह इससे पहले संजय लीला भंसाली की फिल्म 'गुजारिश', 'सांवरिया' से लेकर सलमान खान की 'युवराज' जैसी फिल्मों में अस्सिटेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा अभिषेक जैन ने गुजराती में एक दो छोटी फिल्मों का निर्देशन किया है। लेकिन अभिषेक जैन की ये पहली फिल्म है जिससे उन्होंने बॉलीवुड में बतौर निर्देशख एंट्री की है। अभिषेक जैन ने 'हम दो हमारे दो' में कलाकार शानदार लिए, लेकिन इन कलाकारों का उपयोग सही से नहीं कर पाए।
फिल्म की कहानी कहीं कहीं पर सपाट हो जाती है और इसी का प्रभाव निर्देशन पर भी साफ नजर आता है। अभिषेक जैन ने विषय एकदम अलग चुना, जो आजकल के युवाओं को इंप्रेस करने के साथ साथ अच्छी सीख भी देती है। लेकिन इस विषय को थोड़ा कसी हुई कहानी की जरूरत थी जो कि इस फिल्म को नहीं मिल पाती।
ये जरूर कहना पड़ेगा कि निर्देशक ने परेश रावल और रत्ना पाठक के किरदार को बहुत ही मजबूती से पेश किया है और इन किरदारों को बढ़िया शेप दी है लेकिन यही चीज राजकुमार और कृति के किरादारों में नदारद रही।
अभिनय
राजकुमार राव हो या परेश रावल या फिर अपारशक्ति खुराना, इन सभी कलाकारों ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। परेश रावल और रत्ना पाठक तो इस फिल्म की रीढ़ मालूम पड़ते हैं। बेशक आपने ट्रेलर से लेकर गानों में अब तक राजकुमार राव और कृति सेनन को ज्यादा देखा हो लेकिन फिल्म में आपको परेश रावल और रत्ना पाठक बांधे रखते हैं। परेश रावल जैसे दमदार अभिनेता ने इस फिल्म को डूबने से बचाया है। वहीं परेश रावल की तरह अपारशक्ति खुराना ने भी स्पोर्टिंग रोल को शानदार तरीके से निभाया है।
बात करें राजकुमार राव और कृति सेनन के अभिनय की तो दोनों ने अपना काम अच्छे से किया लेकिन पटकथा की कमजोरी के चलते वह उभर के नहीं आ पाए। वहीं कॉमेडी रोमांटिक फिल्म थी लेकिन दोनों का रोमांस आपको देखने को नहीं मिलता है। यदि रोमांस का तड़का बढ़िया तरीके से लगता तो मूवी दर्शकों को बांधने में कामयाब होती।
तकनीकी पक्ष
कहानी के लेखन में कहां कमजोरी रह गई इस बारे में हम बात कर चुके हैं। लेकिन फिल्म के एडिटिंग पर जोर दिया गया होता तो ये फिल्म एवरेज से आगे निकलकर बढ़िया साबित होती। घर, शादी, ढाबे वाले सीन्स बढ़िया लगे लेकिन कॉस्ट्यूम पर थोड़ा ध्यान और दिया जा सकता था।
कमजोर पक्ष
फैमिली बॉन्ड, फैमिली के मायने, अनाथ बच्चों के विषय समेत कई चीजों को लेकर फिल्म पिरोई गई है। लेकिन फिल्मकार इन सभी चीजों को फिल्म में बखूबी तरीके से दिखा नहीं पाए। आपको कॉमेडी देखने को मिलेगी, परिवार बॉन्ड देखने को मिलेगा लेकिन रोमांस, थोड़ा इमोशंस की कमी लगेगी। साथ ही फिल्म के कुछ सीन्स व्यर्थ लगते हैं, अगर ये दृश्य नहीं होते तो फिल्म ज्यादा कसी हुई लगती।
क्या देखें क्या नहीं
'हम दो हमारे दो' में परेश रावल के जबरदस्त डायलॉग दर्शकों को खुश कर देते हैं। उनकी शानदार एक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी बहुत ही बढ़िया है। रत्ना पाठक की सादगी, भोलापन व सरलता पर तो आपका दिल ही आ जाएगा। वहीं एक परिवार की क्या अहमियत है इसे भी निर्देशक ने भावुक तरीके से दिखाया है। क्लाईमैक्स में राजकुमार राव की स्पीच आपको अच्छी लग सकती है लेकिन कृति सेनन इस बार उतना बढ़िया निखर कर नहीं आ पाईं जैसा वह 'लुका छिपी' व 'मिमी' में नजर आईं। ऑल ओवर फिल्म की बात करें तो वन टाइम वॉच फिल्म है जिसे आप वीकेंड पर देख सकते हैं।